योगासन शरीर और मन को स्वस्थ रखने की प्राचीन भारतीय प्रणाली है। शरीर को किसी ऐसे आसन या स्थिति में रखना जिससे स्थिरता और सुख का अनुभव हो, योगासन कहलाता है। योगासन शरीर की आन्तरिक प्रणाली को गतिशील करता है। इससे रक्त नलिकाएँ साफ होती हैं तथा प्रत्येक अंग में शुद्ध वायु का संचार होता है जिससे उनमें स्फूर्ति आती है। परिणामतः व्यक्ति में उत्साह और कार्य क्षमता का विकास होता है तथा एकाग्रता आती है।
अपने लिए हर इंसान जीता है लेकिन जो दूसरों के लिए जीता ही उसे ही असल में जिंदगी कहते हैं। लोगों की मदद करना हर पल उनके साथ खड़ा रहना इसी का नाम जिदगी है। लोगों की मदद करना, हर पल उनके साथ खड़ा रहना, इसी का नाम जिदगी है। जब एक महिला लोगों की मदद करने का बीड़ा उठाती है तो उससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता।
एक संक्रामक, लाइलाज चर्म रोग ने राजस्थान और गुजरात में पशुओं पर मानों कहर बरपाया हुआ है. राज्य में लगभग तीन महीने में 1200 से अधिक गायों की इससे मौत हो चुकी है और 25000 मवेशी संक्रमित हैं. इस रोग का कोई सटीक उपचार न होने के कारण यह तेजी से फैलता जा रहा है. इससे गो पालकों की चिंता बढ़ती जा रही है. कुछ अधिकारियों का कहना है कि गांठदार चर्म रोग वायरस (एलएसडीवी) या लंपी रोग नामक यह संक्रामक रोग इस साल अप्रैल में पाकिस्तान के रास्ते भारत आया.
आज कल शिक्षा इतनी महंगी हो चुकी है कि एक मध्यमवर्गीय परीवार भी अपने बच्चों की फीस देने में थक जा रहा है तो एक गरीब परीवार भला इतने पैसों का इंतजाम कैसे करेगा। ऊपर से अगर बात अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने की हो तो अच्छे अच्छे अमीरों की भी हालत खराब हो जाती है। ऐसे में एक गरीब घर के बच्चे को उच्च शिक्षा तो दूर शिक्षा ही मिल जाए तो बहुत बड़ी बात होगी। इतनी महंगाई में एक गरीब के घर में दो वक्त का भोजन ही बन जाए तो बहुत है, अपना तन ढकने के लिए ठीक ठाक कपड़े ही मिल जाना खुशी की बात होती है, ऐसे में पढ़ाई के लिए खर्च कर पाना बहुत मुश्किल साबित होता है।
जैसे भगवान की सेवा करने से त्रिलोकी की सेवा होती है ऐसे ही निष्काम भाव से गौ माता की सेवा करने से सारे विश्व की सेवा हो जाती है,क्योंकि गाय को विश्व की माता माना जाता है। गाय की सेवा से धर्म,अर्थ काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थ स्वत: ही सिद्ध हो जाते हैं।