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जीवन की सफलता और आनंद प्राप्त करने के तीन सूत्र

जीवन की सफलता और आनंद प्राप्त करने के तीन सूत्र

“बीती हुई बात का क्या शोक मनाना? वर्तमान में उत्साह पूर्वक पुरुषार्थ करना, भविष्य का निर्भीकता से सामना करना, यही तो है, सफल जीवन का रहस्य।”
सुख और दुख तो सबके जीवन में आते रहते हैं। सबकी परिस्थितियां अलग-अलग होती हैं। इस कारण से किसी के जीवन में कम आते हैं और किसी के जीवन में अधिक।
“भूतकाल में जो सुख दुख आप भोग चुके हैं, उस पर तो अब क्या अफसोस करना?” उसे तो कोई बदल नहीं सकता। “हां, बीती बातों पर चिंतन करके उन से शिक्षा जरूर ले सकते हैं। और उनसे शिक्षा लेकर वर्तमान में पूर्ण पुरुषार्थ अवश्य कर सकते हैं, ताकि भूतकाल की गलतियां फिर से न दोहराई जाएं, और हानियों से बचा जा सके।”
इसके साथ-साथ ‘भविष्य कैसा होगा,’ इस बात पर भी दूरदर्शिता और गंभीरता से विचार करना चाहिए, एवं भविष्य की मानसिक तैयारी कर लेनी चाहिए। “क्योंकि भविष्य से हम भाग नहीं सकते, उसका सामना तो करना ही पड़ेगा।”
घबराने या चिंता करने से कुछ नहीं होगा। हिम्मत रखनी पड़ेगी। धैर्य रखना पड़ेगा, और बुद्धिमत्ता से निर्णय लेने होंगे, कि “हमारे आसपास कैसा वातावरण है? कैसे लोग हैं? उनमें से कौन हमारे मित्र हैं, और कौन हमारे शत्रु हैं। वे शत्रु हमें कहां-कहां से हानि पहुंचा सकते हैं।” इन बातों पर गंभीरता से विचार करना होगा। हमें उन शत्रुओं से सावधान रहना होगा, और सज्जन लोगों के साथ मित्रता बनाकर रखनी होगी। “मुसीबत पड़ने पर मित्रों की सहायता ले लेंगे, और आवश्यकता पड़ने पर उनकी सहायता कर भी देंगे। इस प्रकार से बुद्धिमत्ता एवं हिम्मत से काम लेना होगा।”
“जो व्यक्ति इस विधि से अपना जीवन जिएगा, वह अपने जीवन में कम से कम दुखी होगा, अधिक से अधिक सुख प्राप्त करेगा, तथा उसका जीवन सफल हो जाएगा।”
—– स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक

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