आज कल शिक्षा इतनी महंगी हो चुकी है कि एक मध्यमवर्गीय परीवार भी अपने बच्चों की फीस देने में थक जा रहा है तो एक गरीब परीवार भला इतने पैसों का इंतजाम कैसे करेगा। ऊपर से अगर बात अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने की हो तो अच्छे अच्छे अमीरों की भी हालत खराब हो जाती है। ऐसे में एक गरीब घर के बच्चे को उच्च शिक्षा तो दूर शिक्षा ही मिल जाए तो बहुत बड़ी बात होगी। इतनी महंगाई में एक गरीब के घर में दो वक्त का भोजन ही बन जाए तो बहुत है, अपना तन ढकने के लिए ठीक ठाक कपड़े ही मिल जाना खुशी की बात होती है, ऐसे में पढ़ाई के लिए खर्च कर पाना बहुत मुश्किल साबित होता है।