ईश्वर को साक्षी मानकर सारे कार्य करें

“नास्तिकता इतनी अधिक बढ़ चुकी है, कि न तो कोई ईश्वर को समझता है, और न कोई उसकी कर्मफल व्यवस्था को।”
वेदों का पुराना प्रसिद्ध सिद्धांत है, कि “दंड के बिना कोई सुधरता नहीं है.” आज संसार के लोग बिगड़े हुए दिखाई देते हैं। इसके पीछे क्या कारण है? यही कारण है, कि लोग दंड व्यवस्था को भूल चुके हैं। कुछ ही अपवाद रूप लोगों को छोड़कर बाकी तो लगभग सभी लोग दंड व्यवस्था को नहीं समझ रहे। न तो उन्हें माता पिता के दंड का भय है, न गुरुजनों के, न समाज के, न पंचायत के, और न ही राजा न्यायाधीश आदि के। किसी के दंड का भय नहीं है। इसी कारण से लोग बिगड़ रहे हैं। बिगड़ चुके हैं, और बिगड़ते जा रहे हैं। उन बिगड़े हुए लोगों को देखकर आने वाली नई पीढ़ी भी उन्हीं का अनुकरण कर रही है। नई पीढ़ी भी बिगड़ रही है।
जब तक दंड व्यवस्था ठीक नहीं होगी, कठोर दंड व्यवस्था नहीं चलाई जाएगी, तब तक कोई सुधार होने की संभावना नहीं है। इस बिगड़े हुए संसार को देखकर बहुत से लोग चिंता में हैं, कि “यह संसार कब सुधरेगा?” “वे लोग संसार के सुधार की बात तो सोचते हैं, परन्तु अपने सुधार की नहीं सोचते। यह भी एक कारण है, कि जिससे संसार का सुधार नहीं होता।”
ईश्वर का नियम है, कि “पहले अपना सुधार करो, फिर आपको सुधरा हुआ देखकर कोई दूसरा भी सुधरने की बात सोचेगा. और यदि उसके संस्कार अच्छे होंगे तथा उसे दंड व्यवस्था समझ में आ जाएगी, तो ही वह सुधरेगा, अन्यथा नहीं।”
जो-जो लोग इस चिंता में हैं कि “संसार कब सुधरेगा?” उनके लिए मेरे यही दो सुझाव हैं, जो मैंने ऊपर लिखे हैं। अर्थात “पहले ईश्वर की दंड व्यवस्था को स्वयं समझें, और अपना सुधार करें, फिर दूसरों को सुधरने का उपदेश देवें।”
ईश्वर की दंड व्यवस्था इस प्रकार से है। “ईश्वर ने दंड देने का अधिकार कुछ मनुष्यों को दे रखा है। माता पिता गुरु आचार्य पंचायत राजा या न्यायाधीश। इन सबको अधिकार दे रखा है। तो इनकी दंड व्यवस्था कठोर होनी चाहिए। अपराधी को माफ बिल्कुल नहीं करना चाहिए। कठोर दंड देना चाहिए। बड़े स्टेडियम में सबके सामने देना चाहिए। रेडियो टेलीविजन समाचार पत्र आदि में उसका जीवन्त प्रसारण (Live Telecast) किया जाना चाहिए। 2 4 5 10 20 लोगों को ऐसे दंडित होते देखकर देश के बाकी करोड़ों लोगों का भी सुधार हो जाएगा। फिर सुधरे हुए लोगों को देखकर आने वाली नई पीढ़ी का भी सुधार हो जाएगा। यही उपाय है सुधार का। इसके अतिरिक्त और कोई उपाय नहीं है।”
“ईश्वर अंधा बहरा नहीं है। वह सब कुछ देखता सुनता समझता है। वह कर्म करते समय मनुष्यों का हाथ नहीं पकड़ता, क्योंकि आत्मा कर्म करने में स्वतंत्र है। इसलिए ईश्वर उसे जबरदस्ती नहीं रोकता। कर्मफल व्यवस्था में बस समय की प्रतीक्षा है। उचित समय पर वह सब अपराधियों को दंडित करेगा, और अच्छे लोगों को इनाम भी अवश्य देगा। इसलिए ईश्वर को साक्षी मानकर सारे कार्य करें। जैसे गेहूं चना ज्वार बाजरा आम केला अनार आदि की फसल अपने सही समय पर प्राप्त होती है, न जल्दी और न ही देर से। ऐसे ही कर्मों का फल भी सही समय पर प्राप्त होगा। उसमें जरा भी संशय नहीं रखना चाहिए।” जो लोग कहते हैं, “भगवान के राज में देर है, अंधेर नहीं।” वे लोग झूठ बोलते हैं। यह कहावत झूठी है।
-स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक